इंटरनेट का आविष्कार किसने कब और कैसे किया था | Who Invented Internet in Hindi

internet Kisne Khoja: Internet world का वो चमत्कार है जिसने आज की आधुनिक दुनिया को बहुत सुविधाएँ प्रदान की है। यह नेटवर्क की ऐसी वैश्विक प्रणाली है जिसमें करोड़ों कम्प्युटर, मोबाइल और टेलीफ़ोन एक साथ जुड़े रहते हैं। आज के समय में बिना इंटरनेट के कुछ भी संभव नहीं है।

प्रत्येक क्षेत्र में Internet का अहम योगदान है। आज प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था इंटरनेट पर निर्भर है। इंटरनेट ने शिक्षा, मनोरंजन, पर्यटन, संचार, व्यापार और सूचना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मौजूदा समय में इंटरनेट मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है।

किसी भी जगह की जानकारी पता लगाना अब बिलकुल आसान हो गया है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहीं दूर जाने की बजाए घर बैठे भी प्राप्त कर सकते हैं। यह सब इंटरनेट की ही देन है।

लेकिन क्या आप जानते है कि Internet Hota Kya Hai,internet ki khoj kisne ki Thi और आज के समय में इंटरनेट की क्या दशा है? आज के इस लेख में हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देंगे। तो आइए शुरू करते हैं-

इंटरनेट क्या है|What is Internet In Hindi

इंटरनेट दुनिया में फैला Technology का सबसे बड़ा जाल है। यह दुनिया के कम्प्युटरों को आपस में जोड़े रखने का काम करता है। इस जाल की मदद से कोई भी डाटा एक कम्प्युटर से दूसरे कम्प्युटर में स्थानांतरित होता है। डाटा का मतलब mp3, mp4, Text, Photo आदि से है।

Internet का पूरा नाम “Interconnected Network” होता है, जिसका अर्थ ‘बहुत सारी वस्तुओं को एक साथ जोड़े रखने का जाल’ है। हिंदी में इंटरनेट को “अंतरजाल” भी कहते है, तथा सामान्य भाषा में इसे महाजाल भी कहते है। यह एक ऐसा जाल है जिस पर आज पूरी दुनिया टिकी हुई है।

टेक्नोलोजी की भाषा में आप इसे ऐसे भी समझ सकते है। इंटरनेट एक ऐसी वैश्विक नेटवर्क प्रणाली है जो TCP/IP (Internet Protocol Suite) की मदद से नेटवर्क और उपकरणों में संचार की सुविधा प्रदान करता है। इंटरनेट उन नेटवर्कों का एक नेटवर्क है जो इलेक्ट्रोनिक, वायरलेस और ऑप्टिकल नेटवर्किंग तकनीक की एक बड़ी शृंखला से जुड़ा हुआ है।

इंटरनेट सूचनाओं के आदान-प्रदान की वो शृंखला है, जिसमें प्रत्येक सेकंड करोड़ों की संख्या में सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इंटरनेट दुनियाभर में फैली ऑप्टिकल फाइबर केबल की मदद से डाटा का स्थानांतरण करता है। इंटरनेट का लगभग 90% उपयोग इन फाइबरस की मदद से और 10% उपयोग अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट की मदद से होता है।

इंटरनेट का इतिहास|History of Internet in Hindi

इंटरनेट का इतिहास अन्य प्रौद्योगिकी की तरह ही काफी दिलचस्प और प्रतिस्पर्धा वाला है। इंटरनेट किसी व्यक्ति से प्रतिस्पर्धा का नतीजा नहीं है, अपितु यह दो देशों के बीच की प्रतिस्पर्धा का परिणाम है। हालाँकि इंटरनेट पुराने समय के महान आविष्कारकों की कल्पना का भी नतीजा है। जिसे आधुनिक आविष्कारकों ने पूरा किया है।

साल 1900 के दशक में निकोला टेस्ला ने सबसे पहले ऐसे नेटवर्क की कल्पना की थी जो पूरे संसार को एक सिस्टम से जोड़े रखे। जिसे उन्होंने “World Wireless System” नाम दिया। लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वो इसका आविष्कार नहीं कर पाए।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनाव चरम सीमा पर था। वो खुलकर एक-दूसरे के सामने नहीं आ रहे थे लेकिन उनमें एक आंतरिक युद्ध छिड़ा हुआ था। इस आंतरिक युद्ध को ही कोल्ड वार या शीतयुद्ध कहते है।

इसी शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ दिन-प्रतिदिन नए-नए आविष्कार और खोज कर अमेरिका को चुनौती दे रहा था। इसी शीतयुद्ध ने दुनिया को कई आविष्कार दिए, जिसमें अंतरिक्ष विज्ञान में महारत हासिल करना प्रमुख है। सोवियत संघ ने अपनी धाक जमाने के लिए 1957 में पहला कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।

सोवियत संघ की इतनी बड़ी कामयाबी को देखकर अमेरिका अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी में ज्यादा गंभीरता से सोचने लगा। जिसके लिए विद्यालयों में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान जैसे विषय जोड़े गए, तथा सरकार भी विज्ञान के क्षेत्र में ज्यादा निवेश करने लगी।

इसी क्रम में अमेरिकन सरकार ने National Aeronautics and Space Administration (NASA) और Advanced Research Projects Agency (ARPA) की स्थापना की।

NASA का काम अंतरिक्ष विज्ञान में नई-नई खोजें और आविष्कार करना और ARPA का काम रक्षा विभाग में उन्नत किस्म के नए-नए हथियार तैयार करना था।

इस समय के दौरान अमेरिका के सैन्य अधिकारियों को यह चिंता सताने लगी कि सोवियत संघ कहीं अब टेलीफ़ोन संचार सुविधा पर हमला न कर दें। इसलिए अमेरिकी वैज्ञानिक एक नई संचार सुविधा पर जोर देने लगे, ताकि युद्ध की स्थिति में सोवियत संघ इसका कुछ न बिगड़ पाए।

अगस्त 1962 में एक वैज्ञानिक JCR Licklider (M.I.T. और ARPA में कार्यरत वैज्ञानिक) ने इस समस्या का समाधान दिया। जिसके लिए उन्होंने एक “गैलेक्टिक नेटवर्क सिद्धांत” का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा, इस सिद्धांत के अनुसार एक कम्प्युटर दूसरे कम्प्युटर से सीधा जुड़ सके और वो संचार करने में सहायक हो।

ताकि अगर सोवियत संघ टेलीफ़ोन प्रणाली को नुकसान पहुंचाए तो बड़े नेता और सैन्य अधिकारी इस नेटवर्क से एक-दूसरे के साथ बातचीत कर सके। यह कुछ-कुछ आज के इंटरनेट जैसा था। इसके बाद Licklider को ARPA का प्रमुख बनाया गया, इस तरह से वो ARPA के पहले हैड बने।

इधर MIT के ही एक वैज्ञानिक Leonard Kleinrock ने “पैकेट स्वीचिंग” सिद्धांत सामने रखा और 1964 में इस पर एक किताब प्रकाशित की। Kleinrock ने बताया कि हम कम्प्युटर नेटवर्किंग के लिए सर्किट की बजाए पैकेट स्वीचिंग की मदद से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते है।

पैकेट स्वीचिंग के अनुसार कम्प्युटर अपने डाटा को भेजने से पहले टुकड़ों या पैकेट में तोड़ देगा। इस तरह डाटा अपने छोटे रूप में अपना रास्ता खुद बना लेगा और वो अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच जाएगा। यह कम्प्युटर नेटवर्किंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

1965 में Thomas Merrill और Lawrence G. Roberts ने पैकेट स्वीचिंग पर प्रयोग करना शुरू किया। जिसके लिए उन्होंने एक TX-2 कम्प्युटर को Q-32 से एक टेलीफ़ोन लाइन के माध्यम से जोड़ा। जिससे पहले वाइड एरिया कम्प्युटर नेटवर्क का निर्माण हुआ।

इस प्रयोग का परिणाम काफी संतोषजनक था। क्योंकि इसमें जोड़े गए कम्प्युटर एक साथ डाटा स्थानांतरित कर रहे थे। इस तरह से Kleinrock द्वारा दिया गया पैकेट स्वीचिंग सिद्धांत काफी हद तक सफल रहा। 1966 में रॉबर्ट्स कम्प्युटर नेटवर्क की अवधारणा को प्रस्तुत करने के लिए ARPA में आए।

अगस्त 1968 में Roberts और ARPA ने मिलकर पैकेट स्वीचिंग नेटवर्क पर ध्यान केन्द्रित करना शुरू किया। जिसके लिए उन्होंने ARPANet (चार अलग-अलग कम्प्युटरस को एक साथ जोड़ना) की सरंचना और विशिष्टताओं पर कार्य करना शुरू किया। इस पैकेट स्विच को Interface Message Processors (IMP’s) नाम दिया गया।

इसके अलावा ARPA ने ARPANet के डिज़ाइन के लिए Bolt Beranek and Newman (BBN) की सहता ली। उस समय BBN के हैड Frank Heart थे, BBN की पूरी टीम अब IMP’s पर काम करने लगी। तथा इसी समय Roberts ने Howard Frank तथा उनकी टीम के साथ मिलकर Network Topology का विकास किया जो Kleinrock और उनकी टीम ने तैयार किया था।

इंटरनेट का आविष्कार किसने कब और कैसे किया था|Who Invented Internet in Hindi

पैकेट स्वीचिंग सिद्धांत के प्रारम्भिक विकास के लिए Kleinrock द्वारा बनाए गए उनके Network Measurement Center को ARPANet का पहला नोड चुना गया।

जो University of California, Los Angeles (UCLA) में स्थापित था। इसी क्रम में सितंबर 1969 में BBN ने पहला IMP कम्प्युटर में इन्स्टाल किया।

दूसरी तरफ Doug Engelbart द्वारा बनाए गए रिसर्च सेंटर को दूसरा नोड चुना गया। जो Stanford Research Institute (SRI) में स्थापित था। SRI ने इस नेटवर्क सूचना केंद्र का समर्थन किया। इस तरह से एक कम्प्युटर से दूसरे कम्प्युटर में टेक्स्ट भेजने के लिए दो नोड तैयार हो चुके थे।

इसके बाद इंटरनेट के इतिहास का वो सुनहरा दिन आता है, जिस दिन इंटरनेट की शुरुआत हुई। 29 अक्टूबर, 1969 को पहला टेक्स्ट मैसेज UCLA से SRI भेजा गया। जो इंटरनेट के इतिहास का पहला मैसेज था, इस मैसेज में Login लिखा हुआ था।

लेकिन मैसेज पहुँचने से पहले ही SRI का सिस्टम क्रैश हो गया, जिस कारण SRI के कम्प्युटर में सिर्फ इस शब्द के पहले दो अक्षर ही पहुंचे। इस तरह से ARPANet दुनिया का पहला इंटरनेट प्रणाली बना और इंटरनेट का आविष्कार हुआ। लेकिन अब भी इसमें काफी कमियाँ थी, जिसे दूर करना बाकी था।

इसके बाद इसी वर्ष दो और नोड बनाए गए जो UC Santa Barbara और University of Utah में थे। इस तरह साल 1969 के अंत तक चार कम्प्युटर ARPANet से एक साथ जुड़ चुके थे। इस तरह से इंटरनेट ने अपना काम करना शुरू कर दिया था।

इसी समय के दौरान अब अधिक से अधिक कम्प्युटर ARPANet से एक-दूसरे के साथ जुड़ने लगे। तो दिसंबर 1970 में Network Working Group (NWG) नामक एक समूह ने ARPANet में Network Control Protocol प्रणाली को विकसित किया।

अक्टूबर 1972 में ARPANet के एक सदस्य Bob Kahn ने International Computer Communication Conference (ICCC) में एक सफल और बड़े तौर पर इस नई टेक्नोलोजी का प्रदर्शन किया। इस तरह से दुनिया ने पहली बार एक नई नेटवर्क प्रणाली को देखा, जिसे इंटरनेट कहा गया।

इस तरह इंटरनेट प्रौद्योगिकी दिनों-दिन नए आयाम पर पहुँच रही थी। इसी दौरान 1970 में Robert Kahn और Vinton Cerf ने Transmission Control Protocol (TCP) को विकसित किया। जो डाटा को एक से अधिक नेटवर्क पर आसानी से भेज और प्राप्त कर सकता था।

इसके अलावा TCP डाटा को सुरक्षित भेजने और प्राप्त करने का काम करता है। चूंकि डाटा पैकेट के रूप में स्थानांतरित होता है, इसलिए अगर कोई भी पैकेट रास्ते में खो जाता है। तो TCP उसे खोजकर सही स्थान पर भेजता है। इस तरह से यह इंटरनेट को प्रोटोकॉल करने का काम करता है, इसलिए इसे बाद में Internet Protocol (IP) कहा जाने लगा।

साल 1971 में एक व्यक्तिगत संचार सुविधा की खोज हुई, जिसे हम आज ई-मेल कहते हैं। आज ई-मेल पर प्रतिदिन अरबों की संख्या में मेल भेजे और प्राप्त किए जाते हैं। ई-मेल की खोज Raymond Tomlinson ने की, जो ARPANet के पूर्व सदस्य थे।

इसके बाद साल 1985 में Paul Mockapetris और John Postel ने मिलकर Domain Name System को विकसित किया। जिसने इंटरनेट को और अधिक आसान बना दिया। दुनिया का पहला Domain “symbolic.com” था।

1989 में Barry Shein ने पहली बार दुनिया के लिए इंटरनेट की सुविधा शुरू की। इससे पहले इंटरनेट सिर्फ सरकारी दफ्तरों, विश्वविद्यालयों और निगमों में ही उपयोग किया जाता था। उस समय Barry ने एक महीने इंटरनेट की सुविधा के लिए 20 डॉलर राशि तय की।

1990 तक आते-आते इंटरनेट काफी बदल चुका था। इसी साल Sir Tim Berners-Lee ने Hyper Text Markup Language (HTML) को बनाया।

इसके एक वर्ष बाद ही इन्होंने दुनिया को WWW का तोहफा दिया। जिसे World Wide Web कहा जाता है। 6 अगस्त, 1991 के दिन दुनिया की पहली Website ऑनलाइन हुई थी।

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