GST Full Form in Hindi | GST का फुल फॉर्म क्या है

GST fullform in Hindi: दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हम आपको GST ka fullform के बारे में जानकारी देने वाले हैं। अगर आप इंटरनेट पर यह सर्च करते रहते हैं कि, जीएसटी का फुल फॉर्म क्या होता है या फिर जीएसटी का मतलब क्या होता है, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में आपको जीएसटी से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त होगी।


हमारा भारत देश एक बड़ी जनसंख्या वाला देश है। वर्तमान में हमारे भारत देश की जनसंख्या 130 करोड़ के पार पहुंच गई है और इतनी बड़ी जनसंख्या का पालन पोषण करने के लिए हमारे भारत देश में विभिन्न प्रकार की सुविधाएं सरकार चलाती है, जिससे हमारे भारत देश की जनता को बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं।

हमारे भारत देश की बड़ी आबादी होने के कारण काफी समस्याएं भी होती है जैसे कि अपराध, लूट, चोरी इत्यादि।हालांकि सभी विभाग मे समस्याओं के प्रकार भी अलग-अलग होते हैं जिनके लिए सरकार ने अलग-अलग घोषणा की है।

दोस्तों हमारे भारत देश में हर सरकारी विभाग में लाखों लोग काम कर रहे हैं। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि, उन लाखों लोगों को जो पगार दी जाती है, वह आखिर आती कहां से हैं और इसके अलावा पगार देने के साथ-साथ सरकार हमारे देश के विकास के लिए जो पैसे खर्च करती है वह कहां से आते हैं।

क्या सरकार के पास कोई खजाना है, जहां से वह पैसे निकालती रहती है या फिर कोई ऐसा सिस्टम है, जिससे सरकार के पास आमदनी होती रहती है और वह हमारे देश के विकास के लिए पैसे खर्च करती रहती है। 

आपने यह भी गौर किया होगा कि जब हमारे देश में कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो सरकार उस आपदा से निपटने के लिए उस अरबो रूपए उस पर पर खर्च कर देती है। 

जैसे 2 साल पहले ही आपने देखा था कि केरल में भीषण बाढ़ आई थी, जिसमें लाखों लोग प्रभावित हुए थे और उस समय भारत सरकार ने केरल में बाढ़ से राहत दिलाने के लिए 6 अरब से भी अधिक रूपए खर्च किए थे। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर सरकार के पास इतने पैसे आते कहाँ से हैं, तो आइए जानते हैं कि सरकार इतने पैसे कहां से प्राप्त करती है।


जीएसटी का इंग्लिश में फुल फॉर्म क्या होता है|Gst fullform in English 

सबसे पहले तो आइए जान लेते हैं कि जीएसटी का फुल फॉर्म क्या होता है।जीएसटी का फुल फॉर्म होता है “गुड्स सेलिंग टैक्स”

हिंदी में इसे गुड्स एंड सर्विस टैक्स कहा जाता है।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह एक प्रकार का इनडायरेक्ट टैक्स है तथा इसके आने के पहले भारतीय संविधान में वस्तु और प्रोडक्ट की सेलिंग पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकार के पास था।

परंतु केंद्र सरकार भी कुछ वस्तुओं पर टैक्स लगाती थी इसी लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के टैक्सों के कारण हमारे भारत देश में कई प्रकार के टैक्स हो गए थे। इसके कारण लोगों को हर सामान के लिए अलग-अलग टैक्स देने पड़ते थे 

और उन्हें कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था और इसीलिए हमारे भारत की केंद्र सरकार ने इस झंझट को समाप्त करने के लिए सभी टैक्स को हटा कर एक टेक्स करने के बारे में सोचा और इस तरह से गुड्स सेलिंग टैक्स अस्तित्व में आया।

जीएसटी का पूरा नाम क्या है|Full Name of Gst in Hindi 

साल 2017 में 1 जुलाई को जीएसटी हमारे पूरे भारत देश में लागू की गई थी।जीएसटी का पूरा नाम होता है “वस्तु एवं सेवा कर”

भारत से पहले किन देशों में जीएसटी लागू हो चुका है|In which countries GST has been implemented before India

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमारे भारत देश से पहले भी दुनिया के विभिन्न देशों में जीएसटी लागू हो चुका है, जो निम्न प्रकार हैं।

1: ऑस्ट्रेलिया – 10%
2: न्यूज़ीलैंड – 15%
3: पाकिस्तान – 18%
4: जर्मनी – 19%
5: फ्रांस – 19.6%
6: स्वीडन – 25%

जीएसटी कब लागू हुआ था|When did GST come into force

भारत में GST को पूर्ण रूप से 1 जुलाई  2017  में लागु किया गया।

गुड्स सेलिंग टैक्स के प्रकार|Types of Goods Selling Tax

हमारे भारत देश में चार प्रकार से जीएसटी को लागू किया है।आइए इसके बारे मे अधिक जानते हैं।

1: CGST (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर)

सेंट्रल गुड्स सेलिंग टैक्स का निर्माण साल 2016 में किया गया था। इसे हिंदी में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर कहा जाता है। यह केंद्र सरकार का वह भाग है जो केंद्रीय सेलिंग टैक्स, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स के रूप में भारत सरकार के पास आता है।

2: SGST (राज्य माल और सेवा कर)

साल 2016 में जीएसटी बिल के अंदर राज्य प्रोडक्ट ओर सर्विस टैक्स का प्रावधान किया गया था। एसजीएसटी के द्वारा वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित बिक्री कर, लक्जरी टैक्स, मनोरंजन कर, लेवीज़ ऑन लॉटरी, एंट्री टैक्स को शामिल कर दिया गया है। एसजीएसटी का फुल फॉर्म होता है “स्टेट गुड्स सर्विस टैक्स”

3: IGST (एकीकृत माल और सेवा कर)

इसका मतलब होता है इंटरग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स जिसका अर्थ होता है कि इस प्रकार के टैक्स का पैसा केंद्र और राज्य सरकार दोनों को प्राप्त होगा।

4: UTGST (केंद्र शासित प्रदेश के लिए वस्तु और सेवा कर)

जीएसटी के कानून के तहत केंद्र के द्वारा शासित प्रदेशों को एक विशेष लिस्ट में रखा गया है और इसे जीएसटी अधिनियम साल 2016 के अंतर्गत केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा कर के रूप में जाना जाता है। इसका फुल फॉर्म होता है “यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विस टैक्स” यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विस टैक्स के द्वारा भारत के सभी केंद्र शासित राज्य में एक समान टैक्स को लागू किया जाता है।

किन वस्तुओं पे कोई GST नहीं लगेगा|Which items will not have any GST

खाद्य,खुला पनीर, ताजा सहद, ताजि सब्जी, आटा, बेसन, मैदा, सब्जी का तेल,अनाज, गुड, दूद, अंडा, दही, प्रसाद, नमक, पान के पत्ते, गन्ना।

किन बस्तुओं पे 5% GST लगेगा|Which items will attract 5% GST

दूद से बना हुआ खाद्य, घनीभूत दूद, पैक्ड पनीर,चीनी, चाय, Coffee, खाद्य तेल, कोयला, skimmed milk, powder,   Newsprint, छाता, PDS, केरोसिन, LPG, चुकंदर, ग्रेफाइट, चाक, बरती, CALCIUM, फॉस्फेट।

किन बस्तुओं पे 12% GST लगेगा|Which items will attract 12% GST

bio-gas, hydrogen peroxide, iodine,बटर, घी, Mobiles, बादाम, cashew, फल जूस, पैक्ड coconut, water, अगरबती, 

किन बस्तुओं पे 18% GST लगेगा|Which items will attract 18% GST

facial tissue, लोहा, इस्पात, Fountain pen, fluorine,Hair oil, साबुन, toothpaste, पूंजीगत बस्तुएं, पास्ता, मका, लछे, jams, सूप, ice cream, toilets,  chlorine, मोम 

किन बस्तुओं पे 28% GST लगेगा|Which items will attract 28% GST

कार, sampoo, make up, bike, गाड़ी, Hair dyes,cement, chiwing gum, custard powder, perfume,Hair cream, फटाके।

GST से क्या होगा सस्ता और क्या होगा महंगा|What will be cheaper and more expensive than GST

जीएसटी से घर किचन बाइक एसी फ्रिज और वॉशिंग मशीन सस्ती होंगी इसके अलावा फिल्म देखना टैक्सी और छोटी कार भी सस्ती होगी। वही बड़ी कार और एसी टिकट भी महंगा होगा, इसके अलावा भी अन्य कई चीजें महंगी होंगी।

जीएसटी का टैक्स स्लैब|GST tax slab in Hindi 

भारत की जीएसटी परिषद ने सभी वस्तुओं और सर्विस को चार टैक्स स्लैब में डिवाइड किया है, जो इस प्रकार है।

1: 5 प्रतिशत
2: 12 प्रतिशत
3: 18 प्रतिशत
4: 28 प्रतिशत

भारत की जीएसटी की परिषद ने टोटल 12011 वस्तुओं को इन 4 वर्गों में रखा है और जो चीजें भारत की सामान्य जनता के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी होती है, उन पर शून्य टैक्स यानी की उन्हें सर्विस टैक्स से मुक्त किया है, जिसकी संख्या 80 है।

वर्तमान के समय में सिगरेट, दारू और पेट्रोलियम प्रोडक्ट जैसे कि पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और एलपीजी को जीएसटी से बाहर रखा गया है, क्योंकि यह चीजें भारत की सामान्य जनता द्वारा इस्तेमाल की जाती है।

विभिन्न प्रोडक्ट की वर्तमान जीएसटी दर|Current GST rates of various products

– फूल, पत्तियों और पेड़ की छाल से बने प्लेट्स और कप

0%

– कैफीनयुक्त पेय पदार्थ

28%+12% सेस

– रेलवे की वैगनों और डिब्बों की आपूर्ति पर (ITC के बिना)

12%

– बाहरी खान-पान (ITC के बिना)

5%

– डायमंड जॉब के कार्य पर

1.50%

– अन्य जॉब कार्यों पर

12%

– होटल (7,501 रुपए या उससे अधिक वाले कमरों पर शुल्क पर)

18%

– होटल (रूम टैरिफ 1,001 रुपये से 7,500 रुपये तक)

12%

– बुना या गैर-बुना पॉलीथीन पैकेजिंग बैग

12%

– समुद्री ईंधन

5%

– बादाम का दूध

18%

– स्लाइड फास्टनर्स

12%

– वेट ग्राइंडर या गीली चक्की (पत्थर के रूप में)

5%

– सूखी हुई इमली

0%

– काटकर पॉलिश किया गए अर्द्ध कीमती पत्थर

0.25%

– हाइड्रो-कार्बन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति के अंतर्गत पेट्रोलियम संचालन के लिए सामान लागू दर

5%

– 10-13 यात्रियों की क्षमता वाले पेट्रोल मोटर वाहनों पर उप कर

1%

– 10-13 यात्रियों की क्षमता वाले डीजल मोटर वाहनों पर उप कर

3%

गुड्स सेलिंग टैक्स से फ्री वस्तुएं|Goods selling tax free items

आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक,जूट, ताजा मीट, छाछ, दही, प्राकृतिक शहद, ताजा फल, सब्जियां,  बिंदी, सिंदूर, स्टांप पेपर, मुद्रित किताबें, अखबार, मछली, चिकन, अंडा, दूध,
चूड़ियां, हैंडलूम, अनाज, काजल, बच्चों की ड्राइंग, कलर बुक इत्यादि।एक हजार रुपये से कम कीमत वाले होटल और लॉज, ज्यूडिशियल डॉक्यूमेंट्स, स्टांप पेपर को भी जीएसटी से बाहर रखा गया है।

हमारी इंडियन गवर्नमेंट ने इनडायरेक्ट टैक्स की व्यवस्था में बदलाव लाते हुए सिंगल बाजार में सिंगल टैक्स की व्यवस्था की है।जिसके अंतर्गत 20 लाख तक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को जीएसटी से छूट प्रदान की गई है। 

जीएसटी के फायदे कौन से हैं|Benefits of GST in Hindi

जीएसटी का सबसे अधिक लाभ हमारे भारत देश की सामान्य जनता को हुआ है,
क्योंकि जीएसटी के अंतर्गत सभी सामानों को खरीदने पर एक समान टैक्स देने की व्यवस्था की गई है और इसीलिए अब भारत की सामान्य जनता को या फिर किसी भी व्यक्ति को अलग-अलग वस्तुओं के लिए अलग-अलग टैक्स नहीं देना होगा।

जीएसटी के अंतर्गत अगर आप उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और आप असम में जाकर कोई सामान खरीद रहे हैं, तो इस स्थान परिवर्तन के कारण वस्तु के टैक्स में कोई बदलाव नहीं होगा। जो टैक्स आप जिस वस्तु का उत्तर प्रदेश में देंगी, वहीं टैक्स आप उस वस्तु का आसाम में देंगे। यानी कि भारत के सभी राज्यों में सभी सामानों का टैक्स एक ही होगा।

हमारी भारतीय सरकार ने जीएसटी के द्वारा हमारे भारत देश में टैक्स की व्यवस्था को आसान और सरल बना बनाया है। जीएसटी के आने से जो टैक्स के ऊपर टैक्स भारत की जनता को देना पड़ता था, वह अब समाप्त हो गया है।

वरना पहले भारत की जनता को हर चीज के लिए अलग-अलग प्रकार के टैक्स देने होते थे, जिससे उनकी जेब पर काफी बोझ होता था। जीएसटी के लागू होने के बाद इनकम टैक्स के अधिकारियों के द्वारा किसी भी प्रकार का करप्शन या फिर भ्रष्टाचार नहीं किया जा सकेगा।

जीएसटी के लागू होने के बाद सर्विस टैक्स,
सेंट्रल सेलिंग टैक्स, स्टेट सेलिंग टैक्स और वैट को समाप्त कर दिया गया है।

जीएसटी के लागू होने के पहले हमें अलग-अलग सामानों पर अलग-अलग टैक्स देने होते थे, जिसकी दर 20% से लेकर 35% तक होती थी और जीएसटी के लागू होने के बाद हमें अब सिर्फ 18 पर्सेंट टैक्स ही चुकाना होता है।

टैक्स क्या होता है|What is TAx in Hindi 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टैक्स दो प्रकार के होते हैं। पहला डायरेक्ट टैक्स और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स। डायरेक्ट टैक्स तो आपको देना ही पड़ता है, जो आपकी सैलरी में से ऑटोमेटिक कट जाते हैं और सीधा सरकार के खाते में चले जाते हैं।

हमारे भारत देश में डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या कम है। डायरेक्ट टैक्स सीधा ग्राहकों के ऊपर पड़ता है। जैसे मान लीजिए आपके पास बियर की कंपनी है और आपने अपनी कंपनी में बियर का निर्माण किया और उस पर जो भी टैक्स लगेगा, उसको जोड़ कर आप अपनी बियर का प्राइस तय कर देंगे और उसे बाजार में बेचने के लिए उतार देंगे।

इस प्रकार उस पर लगने वाला टैक्स जनता के ऊपर चला जाएगा। हमारे भारत में सिर्फ चार पर्सेंट लोग ही डायरेक्ट टैक्स देते हैं क्योंकि नौकरी में कम लोग हैं, पर इनडायरेक्ट टैक्स बहुत से लोग देते हैं।

क्योंकि यह बात तो आप जानते ही हैं कि सामान सभी लोग खरीदते हैं और इसके अलावा लोग दुकानों और रेस्टोरेंट में भी विभिन्न प्रकार की सर्विस लेते हैं, इसीलिए अगर आप चाहे नौकरी कर रहे हो कमा रहे हो या फिर नही कमा रहे हो, इनडायरेक्ट टैक्स आपको देना ही होता है।

क्योंकि आप कभी न कभी किसी रेस्टोरेंट या होटल में तो जाते ही होंगे।इनडायरेक्ट टैक्स में अमीर और गरीब नहीं देखा जाता है, दोनों को यह टेक्स बराबर देना होता है, क्योंकि दोनों ही कभी न कभी किसी होटल या रेस्टोरेंट में जाकर कोई सुविधा या सर्विस का लाभ लेते ही होंगे।

जीएसटी भी इनडायरेक्ट टैक्स से ही जुड़ा हुआ है। जीएसटी का मतलब होता है गुड्स एंड सर्विस टैक्स, जिसका मतलब होता है सामान और सर्विस पर लगने वाला टैक्स।
गुड्स मतलब कार, टीवी, ब्रेड, कपड़े आदि. सर्विसेज मतलब मोबाइल नेटवर्क, बैंकिंग, हवाई यात्रा, मूवीज आदि।

हमारे भारत में जीएसटी के लागू होने के पहले सभी राज्य सरकार अपने अपने हिसाब से मनमर्जी के अनुसार चीजों पर टैक्स लगाती थी। हर राज्य सरकार अपने राज्य में अलग-अलग चीजों पर विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाती थी। 

जिसकी वजह से जो चीज एक राज्य में सस्ती होती थी, तो वही चीज दूसरे राज्य में महंगी होती थी, परंतु जीएसटी के आने के बाद सभी राज्य सरकार एक ही टैक्स लगा सकेंगे और सभी वस्तुओं पर एक ही समान टैक्स लगेगा।

जब जीएसटी लागू नहीं हुआ था, तब विभिन्न प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स जनता से लिए जाते थे, जिसमें कई प्रकार के टैक्स होते थे। इनडायरेक्ट टैक्स के अंतर्गत 10 से भी ज्यादा टैक्स थे और इतने ज्यादा टैक्स के प्रकार होने के कारण कई लोग टैक्स भरते भी नहीं थे 

और इसीलिए कभी-कभी सरकार को यह पता ही नहीं चल पाता था कि किसी व्यक्ति ने टैक्स भरा है या नहीं, पर अब ऐसा नहीं होता है, क्योंकि अब उन सभी प्रकार के टैक्स के बदले में अब एक ही टैक्स लागू होगा।

जीएसटी से पहले कौन से टैक्स लगते थे|What taxes were levied before GST

सेनवैट, सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज टैक्स, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी मेडिसिन वाले, एडिशनल कस्टम्स ड्यूटी, काउंटरवेलिंग ड्यूटी, सेंट्रल सरचार्ज, सेस, स्टेट वैट, स्टेट सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स (म्युनिसिपैलिटी से अलग), 

लक्जरी टैक्स, लॉटरी पर टैक्स, स्टेट सेस, ऑक्ट्रोई, एजुकेशन सेस और भी बहुत सारे टैक्स जीएसटी के लागू होने के पहले लगते थे परंतु हमारी भारतीय सरकार ने इन सभी टैक्सों के बारे में विचार किया और फिर इन सभी टैक्सों को हटाकर एक टैक्स का निर्माण किया, जिसका नाम रखा गया जीएसटी।

जीएसटी के आने से बिजनेस करने वाले लोगों को बहुत फायदा हुआ, क्योंकि उन्हें हर जगह विभिन्न प्रकार के टैक्स देने होते थे जिसमें उनका काफी समय और काफी पेपर वर्क बर्बाद हो जाता था, परंतु अब उन्हें सिर्फ एक ही टैक्स देना होता है।

हालांकि कुछ चीजें ऐसी है, जिनमें पहले की तरह ही टैक्स लगेगा और इन चीजों को जीएसटी से बाहर रखा गया है जैसे कि 
पेट्रोलियम ट्रेड, हाई स्पीड डीजल, पेट्रोल, नैचुरल गैस, एविएशन टरबाइन फ्यूल, ऐल्कोहॉल।

जीएसटी ने किन टैक्स को रिप्लेस किया|Which tax did GST replace

1.  Central Excise Duty
2.  Service Tax
3.  Countervailing Duty
4.  Special Countervailing Duty
5.  Value Added Tax (VAT)
6.  Central Sales Tax (CST)
7.  Octroi
8.  Entertainment Tax
9.  Entry Tax
10.  Purchase Tax
11.  Luxury Tax
12.  Advertisement taxes
13.  Lotteries Taxes.

जीएसटी का इतिहास|History of GST in Hindi 

हर किसी ना किसी का कोई ना कोई इतिहास अवश्य होता है और उसी तरह जीएसटी का भी इतिहास है, हालांकि यह बहुत पुरानी बात नहीं है, यह बात 16 साल पहले की है, जो अटल बिहारी बाजपेई से जुड़ी हुई है। अटल बिहारी बाजपाई बीजेपी के प्रमुख और कद्दावर नेता थे।

उस समय जीएसटी की शुरुआत हुई थी परंतु उस समय कुछ नहीं हुआ। इसके बाद साल 2007 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार बनी थी, इन्होंने भी इसका प्रस्ताव रखा था परंतु विवाद होने के कारण कुछ खास बात नहीं बनी।

भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस हमेशा से इसके समर्थन में थे, परंतु कुछ टैक्सो में बढ़ोतरी के कारण राज्यसभा में कांग्रेस का इसका समर्थन नहीं मिला। कांग्रेस इस बिल के खिलाफ इसलिए भी थी कि की उसे लगता था कि वस्तुओं और सेवाओं पर एक पर्सेंट टैक्स ज्यादा है।

इसके अलावा कई राज्य भी इसके खिलाफ थे परंतु बीजेपी ने सभी को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और फिर साल 2015 में 1 मई को इसे मंजूरी मिल गई और फिर काफी बदलाव करने के बाद साल 2017 में 1 जुलाई को भारत में जीएसटी लागू कर दी गई।

GSTIN क्या है|What is GSTIN in Hindi 

आपने अपना आधार कार्ड अवश्य देखा होगा और आपने उसमें देखा होगा कि, उसमें नीचे की तरफ कुछ अंकों के नंबर होते हैं, जिसे आधार नंबर कहा जाता है। इसका इस्तेमाल विभिन्न जगह पर होता है।

इसके अलावा पैन कार्ड में भी पैन नंबर होता है, ठीक उसी तरह जब हम जीएसटी में अपने बिजनेस को रजिस्टर करवाते हैं तो हमें एक नंबर दिया जाता है जिसे जीएसटी नंबर कहा जाता है। इसीके द्वारा सरकार आपके द्वारा किए गए लेनदेन को ट्रैक करती है।

GSTIN का फुल फॉर्म क्या होता है|Fullform of GSTIN in Hindi 

जीएसटी का फुल फॉर्म होता है “गुड्स एंड सर्विस टैक्स आईडेंटिफिकेशन नंबर” 

जहां पहले हमारे भारत देश में विभिन्न प्रकार के टैक्स होते थे, वहीं अब उन सभी टैक्सों को हटाकर सरकार ने अब एक टैक्स की व्यवस्था कर दी है, जिसे जीएसटीन कहा जाता है। इसीलिए जीएसटी के तहत सभी कारोबारी अपने बिजनेस को जीएसटीन में रजिस्टर करवाते हैं।

ऐसा हर व्यक्ति को जो सरकार को टैक्स देता है, उसे 15 अंकों का जीएसटीन नंबर दिया जाता है, जो उसके पान कार्ड के ऊपर आधारित होता है। मतलब कि उसके पान कार्ड के भी कुछ अंक जीएसटीन नंबर में शामिल होते हैं।

GSTIN नंबर 15 अंकों का होता है जिसमें
कुछ नंबर आपके पान कार्ड के भी होते हैं और इसमें शुरुआत के 2 अंक उस राज्य का कोड होता है, जहां पर जीएसटी के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति रहता है या फिर जहां पर वह अपना बिजनेस करता है।

2011 की जनगणना के अनुसार हमारे भारत देश में हर राज्य के लिए अलग-अलग कोड निर्धारित किए गए हैं। जैसे दिल्ली के लिए 07, उत्तर प्रदेश के लिए 09, बिहार के लिए 10 और मध्यप्रदेश के लिए 23 

यानी कि अगर कोई व्यापारी उत्तर प्रदेश से है और वह जीएसटी में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है तो उस व्यापारी के जीएसटी नंबर की शुरुआत 09 से होगी, वहीं दिल्ली के कारोबारी के जीएसटी नंबर की शुरुआत 07 से होगी।

देश के लिए 23 है।  यानी कि उत्तर प्रदेश के सारे व्यापारियों के GSTIN 09 से शुरू होंगे। और दिल्ली के सभी कारोबारों के GSTIN 07 से शुरू होंगे। GSTIN  में किस कोड का किस राज्य से संबंध है, यह जानने के लिए नीचे दी गई सारणी देखें।

जीएसटीन में राज्यों के कोड नंबर|Code Number of States in GSTIN 

01 जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir)

02 हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh)

03 पंजाब ( Punjab)

04 चंडीगढ़ ( Chandigarh)

05 उत्तराखण्ड (Uttarakhand)

06 हरियाणा (Haryana)

07 दिल्ली (Delhi)

08 राजस्थान (Rajasthan)

09 उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)

10 बिहार (Bihar)

11 सिक्किम ( Sikkim)

12 अरुणाचल प्रदेश ( Arunachal Pradesh)

13 नागालैंड (Nagaland)

14 मणिपुर (Manipur)

15 मिजोरम (Mizoram)

16 त्रिपुरा (Tripura)

17 मेघालय (Meghalaya)

18 असम (Assam)

19 पश्चिम बंगाल (West Bengal)

20 झारखण्ड (Jharkhand)

21 उडीसा (Orissa)

22 छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)

23 मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)

24 गुजरात (Gujarat)

25 दमण एवं दीव (Daman and Diu)

26 दादर एवं नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli)

27 महाराष्ट्र (Maharashtra)

28 आंध्रप्रदेश(Andhra Pradesh)

29 कर्नाटक (Karnataka)

30 गोवा (Goa)

31 लक्षद्वीप (Lakshdweep)

32 केरल (Kerala)

33 तमिलनाडु (Tamil Nadu)

34 पांडिचेरी (Pondicherry)

35 अंडमान- निकोबार (Andaman and Nicobar)

जीएसटी नंबर के लिए कौन से डॉक्यूमेंट लगते हैं|Document for GSTIN Number in Hindi 

आपका PAN कार्ड

बिज़नेस का इनकारपोरेशन सर्टिफिकेट 

बिज़नेस ओनर का आईडी, एड्रेस प्रूफ व फोटोग्राफ के साथ

बिज़नेस का रजिस्टर्ड एड्रेस प्रूफ

आपका बैंक अकाउंट स्टेटमेंट

क्लास 2 डिजिटल सिग्नेचर 

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