TDS Full Form in Hindi | TDS का फुल फॉर्म क्या है

Tds Kya Hai: नमस्कार दोस्तों, आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपको ” टीडीएस की फुल फॉर्म” के बारे में जानकारी देने वाले हैं। अगर आप इंटरनेट पर यह सर्च करते रहते हैं कि, 
टीडीएस का फुल फॉर्म क्या होता है या फिर टीडीएस का मतलब क्या होता है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको टीडीएस की फुल फॉर्म के बारे में तथा टीडीएस के बारे में सभी जानकारियां प्रदान करने वाले हैं।
हमारे भारत में लोग अपनी जिंदगी गुजारने के लिए अलग-अलग धंधे और व्यवसाय पर निर्भर होते हैं। इसके अलावा बहुत से लोग अपनी जिंदगी गुजारने के लिए विभिन्न प्रकार की नौकरियां करते हैं। हमारे भारत देश में हर साल कई कंपनियां विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी करती है।
जिसमें लोग अपनी अपनी योग्यता के अनुसार आवेदन करते हैं और उसमें बहुत से लोगों का सिलेक्शन भी होता है। दोस्तों आपने कभी ना कभी टीडीएस के बारे में तो सुना ही होगा, परंतु शायद आपको इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी कि टीडीएस होता क्या है।
अगर आप नहीं जानते तो बता दे कि हमारे भारत देश में बहुत से लोग टैक्स की चोरी करते हैं और इसीलिए हमारी भारतीय सरकार ने टैक्स की चोरी को रोकने के लिए टीडीएस का प्रावधान किया है। टीडीएस हमारी भारतीय सरकार द्वारा लिया जाने वाला एक इनडायरेक्ट टैक्स होता है।
सामान्य तौर पर लोग टीडीएस को सैलरी से जोड़कर देखते हैं। जिन व्यक्तियों को अच्छी सैलरी प्राप्त होती है, उनके वेतन में से टीडीएस की कटौती की जाती है। इसके अलावा बैंकों के द्वारा विभिन्न प्रकार के लेनदेन पर भी टीडीएस काटा जाता है।

टीडीएस का फुल फॉर्म क्या होता है|Fullform of TDS in Hindi 
सबसे पहले तो आइए जान लेते हैं कि टीडीएस का फुल फॉर्म क्या होता है। टीडीएस का फुल फॉर्म होता है “टैक्स डिडक्टेड अट सोर्स” हिंदी भाषा में इसे टैक्स कटौती के नाम से जाना जाता है। 
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, यहां सोर्स का मतलब होता है कमाई का जरिया इनकम टैक्स कानून के अंतर्गत कमाई के पांच जरिए होते हैं, जो इस प्रकार हैं।
– किसी संस्थान से मिलने वाला वेतन 
– अपने कारोबार या पेशे से आमदनी 
– किसी संपत्ति से किराए के रूप में आमदनी 
– किसी संपत्ति को बेचने पर उसके लाभ के रूप में आमदनी 
– ब्याज, कमीशन, लाभांश वगैरह के रूप में आमदनी 
टीडीएस सिस्टम के अंतर्गत होता यह है कि जब किसी संस्थान या फिर किसी व्यक्ति को कहीं से कोई सैलरी प्राप्त होने वाली होती है, तो उसकी सैलरी देने के पहले ही उसकी सैलरी में से टैक्स काट लिया जाता है और फिर जो भी पैसे बचते हैं, वह उस संस्थान या फिर उस व्यक्ति को सैलरी या फिर पेमेंट के रूप में दे दी जाती है।
इस तरह संस्थान या फिर व्यक्ति की इनकम में से टैक्स की कटौती होती है और इसी व्यवस्था के अंतर्गत इनकम टैक्स की भाषा में टैक्स डिडक्टेड अट सोर्स या स्रोत पर कर कटौती कहा जाता है।यह टैक्स पेमेंट के कई तरीकों में से एक तरीका है।इसके अलावा एडवांस टैक्स और सेल्फ असेसमेंट टैक्स भी टैक्स चुकाने की विधि हैं।
टीडीएस किस पर कटता है|TDS kis Par Katta Hai
– वेतन
अगर आप किसी भी इंस्टिट्यूट या फिर किसी भी कंपनी में एक वर्कर के तौर पर काम करते हैं और अगर आप की सालाना सैलरी ₹500000 से ज्यादा होती है, तो फिर आपकी कंपनी या फिर आपका इंस्टिट्यूट आपकी महीने की सैलरी में से टीडीएस को काटता है।
– इंटरेस्ट पेमेंट
अगर आपने कोई इनकम जमा की है और वह ₹40000 से ज्यादा है और आपको उस रकम पर ब्याज प्राप्त हो रहा है, तो बैंक के द्वारा आपकी रकम पर टीडीएस की कटौती की जाएगी
– कमीशन पेमेंट 
अगर किसी संस्थान या फिर कंपनी के द्वारा कोई काम कराने पर आपको ज्यादा कमीशन मिल रहा है, तो आपको टीडीएस कटवाना पड़ेगा।
– रेंट पेमेंट
अगर आपके पास कोई मकान है और अगर आपने उसको भाड़े पर दिया है और आप तो हर महीने ₹20000 से अधिक का भाड़ा प्राप्त हो रहा है, तो आपसे टीडीएस की कटौती की जाएगी।
– कंसल्टेशन फीस
अगर आप वकील हैं, चार्टर्ड अकाउंटेंट है या फिर फाइनेंशियल प्लानर है और आप गाइडेंस टैक्स प्राप्त करते हैं तो आपके कमाई में से टीडीएस की कटौती की जाएगी। 
– प्रोफेशनल फीस
अगर आप किसी कंपनी में प्रोफेशनल एक्सपर्ट के तौर पर काम कर रहे हैं तो आपकी सैलरी में से टीडीएस की कटौती की जाएगी।
अगर सभी इनकम की सोर्स का बिजनेस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है तो ही टीडीएस की कटौती की जाती है।
डॉक्टर, वकील, या अन्य परामर्श दाता के द्वारा जो परामर्श शुल्क लिया जाता है, उस पर टीडीएस की कटौती का कोई कानून नहीं है।अगर किसी कम्पनी के द्वारा यह सर्विस ली जाती है तो वह आपको फीस का भुगतान टीडीएस काट कर करेगी।
टीडीएस के नियम क्या है|Rules of tds in Hindi 
हमारे भारत की income  tax department के द्वारा टीडीएस को काटने और टीडीएस को जमा करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं और अगर कोई व्यक्ति नियम का पालन नहीं करता है, तो उसे जुर्माना, ब्याज या फिर लेट फीस देनी पड़ सकती है। टीडीएस के नियम नीचे हमने आपको बताएं है, इस पर गौर करें।
– कटौती के लिए
सैलरी देने की अंतिम तारीख या फिर उसके पहले ही टीडीएस काट लेना जरूरी है और अगर विलंब होता है, तो 1 परसेंट प्रति महीने की दर से ब्याज देना पड़ता है।
– जमा के लिए
जो व्यक्ति टीडीएस की कटौती करके पैसे को इकट्ठा करता है, उसे अगले महीने की 7 तारीख तक सरकार के पास उस पैसे को जमा करना जरूरी होता है। अगर व्यक्ति तय तिथि तक पैसे जमा नहीं करता है, तो पूरे पैसे पर उसे प्रतिमाह 1.5% की दर से ब्याज देना होता है।
– रिटर्न के लिए
हर महीने जो भी टीडीएस कटता है, उसका रिटर्न हर तिमाही के अगले महीने की लास्ट तारीख तक जमा करना जरूरी होता है। मतलब की फाइनेंसियल ईयर की 31 जुलाई, 31 अक्टूबर, 31 जनवरी, और 31 मई तक जमा करना होगा।
और अगर यह जमा नहीं किया जाता है, तो ₹200 हर दिन के हिसाब से लेट फीस देनी होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह नियम इनकम टैक्स अधिनियम 234e के अनुसार है।इस लेट फीस की धनराशि कुल टैक्स से अधिक नहीं राखी जाती है।
टीडीएस सर्टिफिकेट क्या होता है|tds certificate in Hindi 
जब कोई व्यक्ति, संस्था या फिर कंपनी आपका टीडीएस काटती है, तो आपको टीडीएस काटने का एक सर्टिफिकेट दिया जाता है।यह उस व्यक्ति, संस्था या फिर कंपनी के जिम्मेदारी होती है कि, टीडीएस का सर्टिफिकेट आपको प्रदान करें। इसमें सरकार को कितना टीडीएस दिया गया है, उसकी जानकारी होती है।
इस सर्टिफिकेट की हेल्प से आप रिटर्न जमा करते वक्त या विभागीय जांच-पड़ताल पर टैक्स के भुगतान का दावा कर सकते है। इस प्रमाण पत्र को आपको सुरक्षित रखना चाहिए  जिससे आपको भविष्य में किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े।
टीडीएस कटौती का उदाहरण|Example of tds
आप शायद यह जानने के इच्छुक होंगे कि टीडीएस की कटौती कैसे होती है, तो आइए आपको टीडीएस की कटौती का एक उदाहरण देते हैं और इसके द्वारा आप को समझाते हैं कि टीडीएस की कटौती कैसे होती है।इस उदाहरण में हमने 10 परसेंट टीडीएस कटौती का उदाहरण दिया है।
संजय एक बिजनेसमैन है और अजय एक वकील है। संजय ने अपनी फर्म के किसी काम के सिलसिले में अजय की सर्विस लीं। अब संजय की ओर से सतीश को 40,000 रुपए पेमंट होना है। अजय को करना यह होगा कि वह इन 40,000 रुपयों का 10 प्रतिशत यानी 4000 रुपए Payment के पहले ही काटकर रख लेगा और बचे 36,000 रुपए संजय को देगा। जो 4000 उसने काटे थे वही TDS होगा। 

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