कोई भी पर्व आने वाला रहता है तो हम सभी काफी खुश रहते हैं खासतौर पर बच्चे और अगर कोई बच्चे का पर्व आने वाला रहता है तो सभी बच्चे कुछ दिनों पहले से ही उसकी तैयारियों में लगे रहते हैं जैसा कि हम सभी जानते हैं कुछ ही दिनों में क्रिसमस पर्व आने वाला है और देश भर के लोग इस दिन का काफी बेसब्री से इंतज़ार करते है।
क्रिसमस के बारे में तो हम सब कोई जानता है यह ईसाई लोगो सबसे एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।यह त्यौहार ईसाई लोगो के लिए इतना ही मायने रखता है जितना हिन्दुओ के लिए दिवाली त्यौहार रहता है।
सबसे पहले हम जानते हैं क्रिसमस क्या है?
क्रिसमस त्यौहार मनाने का तात्पर्य यह है की इस दिन इशू यानी जीसस क्राइस्ट ईश्वर का जन्म हुआ था, यह दिन 25 दिसंबर के हर साल को मनाया जाता है | इसे क्रिसमस ईव भी कहा जाता है। 24 दिसंबर की रात से ही इस पर्व की तैयारी चालू हो जाती है, इस दिन शाम 7 बजे ही इसे ईसाई धरम के लोग प्रेयर करना शुरू कर देते है, चर्च जाते है, नए कपडे पेहेनते है, रिश्तेदारों से मिलते है, केक और मिठाइयां बाटते है ।
क्रिसमस और सांता क्लॉस
ऐसा कहा जाता सैंटा क्लॉज़ इशू भगवान् के दूत है और इन्हे बच्चो से कुछ ख़ास लगाव है । सैंटा क्लॉस इशू के जन्म के बाद यानी 25 दिसंबर के रात को आकर सारे बच्चो को तोहफा उनके घर के सामने छोड़कर जाते है | इसलिए बच्चे उस रात को काफी उत्साह से सोते है।
क्या सैंटा क्लॉस सच में होते है?
क्रिसमस को ख़ास उनकी सदियों से आ रही परंपरा दर्शाती है ।ऐसा कहा जाता है इशू मसीह के मरने के ठीक 280 साल में सैंटा निकोलस नाम के एक शख्स का जन्म मायरा में हुआ था।उन्होंने इशू भगवान् के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था, उन्होंने लोगो की इतनी मदद की और रात में हर एक बच्चे को वह तोहफे देकर आते थे ।इसलिए इन्हे इशू मसीहा का दूत कहा जाने लगा था जिन्होंने लोगो के लिए अपना जीवन दे दिया था।
क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है
बहुत समय पहले इजराइल के नाज़ेरथ नामक एक छोटे गांव में मैरी नाम की कुंवारी महिला रहा करती थी, और उन्हें जोसफ नाम के एक शख्स से प्यार हो गया था।ऐसा कहा जाता है की मैरी के पास एक बार गेब्रियल नाम की एंजेल आती है और उन्हें कहती है की ईश्वर खुद तुम्हारे खोक से जन्म लेने वाले है, यह सुनकर मैरी चकित होती है क्यूंकि उनका उस समय विवाह नहीं हुआ होता है ।जब जोसफ को मैरी ने यह बताया तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ लेकिन बाद में उनके सपने में ईश्वर की दूत गेब्रियल खुद आती है और उन्हें सूचित करती है उनकी प्रेमिका मैरी के कोख से ईश्वर स्वयं जन्म लेंगे और उन्हें उन दोनों का ख़ास ख्याल रखना होगा। यह सुन जोसफ मैरी से विवाह कर लेते है और दोनों भी अपना गाँव छोड़ देते है। इसके बाद जब मैरी गर्ब्वती रहती है तो उन दोनों को रहने के लिए कोई स्थान नहीं मिल पाता है । तब जोसफ और मैरी को एक अस्तबल में शरण मिलती है और उसी रातको इशू प्रभु का जन्म होता है।जब पास में गड़रिए अपने गाय चारा रहे होते है तब उन्हें ईश्वर के दूत सुचना पहुंचाते है की अस्तबल में जो बच्चा है वह साधारण बालक नहीं बल्कि वही खुद प्रभु है, यह सुनकर गड़रिए शिशु के पास आकर उसका नमन करते है। जब इशू प्रभु बड़े हुए तो उन्होंने लोगो की बिमारी, तक़लीफो को, दुर्बलताओं को दूर किया | लेकिन अच्छा होने के वजह से उनके कई दुश्मनो ने उन्हें छल से मार दिया था। इशू ने अपना जीवन लोगो के कल्याण में बिताया और जब उन्हें मारा गया तब प्रभु ने यही कहा की में फिर इस धरती पर जन्म लूंगा, जब धरती पर अन्याय और पाप बढ़ेगा ,तब में फिर से इस धरती पर जन्म लूंगा। बस इसी दिन को इशू प्रभु के याद में मनाया जाता है।