SC Full Form in Hindi | SC का फुल फॉर्म क्या है

Sc fullform in Hindi: दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हम आपको ” एससी के फुल फॉर्म” के बारे में जानकारी देने वाले हैं। अगर आप इंटरनेट पर यह सर्च करते रहते हैं कि, एससी का फुल फॉर्म क्या होता है या फिर एससी का मतलब क्या होता है, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में आपको एससी से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त होगी।

दोस्तों हमारा भारत देश एक बहुत बड़ी जनसंख्या वाला देश है और वर्तमान में हमारे भारत देश की जनसंख्या 130 करोड़ के पार पहुंच गई है। जनसंख्या अधिक होने के कारण हमारे भारत देश में नौकरियों की संख्या सीमित है और इसीलिए सरकार ने नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आरक्षण हमारे भारतीय संविधान में कुछ ऐसे वर्गों को दिया गया है, जो आर्थिक,सामाजिक और शैक्षिक रूप से कमजोर है। आरक्षण के अंतर्गत हमारे भारत देश में ऐसी कई जातियां आती है जो आरक्षण का लाभ लेती है।

आरक्षण में मुख्य तौर पर पहले 3 कैटेगरी के लोग आते थे, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा ओबीसी के लोग थे। हाल ही में सरकार ने आरक्षण के तहत ईडब्ल्यूएस कैटेगरी को जोड़ दिया है। 
इसका मतलब होता है कि जो आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण है, उन्हें भी अब सरकारी नौकरियों में तथा शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिया जाएगा। सवर्ण समुदाय के अंतर्गत क्षत्रिय, ब्राह्मण और बनिया समुदाय आता है।
इन सभी लोगों की काफी समय से यह डिमांड थी कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो को भी नौकरी, शिक्षा और अन्य चीजों में आरक्षण दिया जाए। इसके बाद काफी सालों बाद सरकार ने इनकी मांग मान ली और इन्हें 10 परसेंट आरक्षण प्रदान किया।
हालांकि इसका काफी विरोध भी हुआ, परंतु सरकार ने सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो को 10% आरक्षण देने की घोषणा की।
इसके अलावा सवर्णों के बाद ओबीसी समुदाय यानी कि अन्य पिछड़ा वर्ग को भी आरक्षण का लाभ मिल रहा है।आपने देखा होगा कि जब भी कोई सरकारी नौकरी निकलती है तो उसमें यह बताया जाता है कि अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग उम्र सीमा क्या है और वहां पर एससी-एसटी,ओबीसी, फिजिकली हैंडिकैप्ड, इडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए अलग-अलग उम्र सीमा निर्धारित होती है।
एससी का फुल फॉर्म क्या है|Sc Fullform in Hindi 
सबसे पहले तो आइए जान लेते हैं कि, एससी का फुल फॉर्म क्या होता है। एससी का फुल फॉर्म होता है शेड्यूल कास्ट,इसे हिंदी में अनुसूचित जाति कहा जाता है। शेड्यूल कास्ट में आने वाले लोगों को तथाकथित नीची जाति का लोग कहा जाता है।
हालांकि जाति से कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठ नहीं होता है। व्यक्ति श्रेष्ठ अपने कर्मों से होता है, परंतु हमारे भारत देश में एक तो पहले से ही काफी जातिवाद था, ऊपर से संविधान में दिए गए आरक्षण के बाद जातिवाद घटने की जगह जातिवाद और बढ़ गया।
क्योंकि जो लोग आरक्षण की श्रेणी में नहीं आते हैं, वह लोग आरक्षण पाने वाले लोगों को दिन-रात कोसते रहते हैं, ऐसे में आरक्षण  वाले और बिना आरक्षण वाले दोनों के बीच समय-समय पर तकरार होती रहती है और अब यह तकरार सोशल मीडिया पर अधिक होने लगी है।
क्योंकि सोशल मीडिया का इस्तेमाल वर्तमान के समय में लगभग सभी वर्ग के लोग करते हैं और ऐसे में सोशल मीडिया पर कई बार एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में काफी कहासुनी हो जाती है, जो कभी कभी हकीकत के झगड़ों में भी बदल जाती है, ऐसा आपने कई बार पेपर में अवश्य देखा होगा।
एससी को हिंदी में क्या कहते हैं|Sc Meaning in Hindi 
एससी को हिंदी में शेड्यूल कास्ट कहते हैं और इसे हिंदी में अनुसूचित जाति कहा जाता है। इस वर्ग से संबंध रखने वाले लोगों को विभिन्न प्रकार के आरक्षण भारतीय संविधान द्वारा प्राप्त होते हैं।हमारे भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियों में से एक अनुसूचित जाति के लिये भी है,इसलिये इसे अनुसूचित जाति कहा गया।
शेड्यूल कास्ट में कौन से लोग शामिल हैं|List of sc cast
शेड्यूल कास्ट वर्ग के अंतर्गत ऐसे लोग शामिल होते हैं, जो अधिकतर मैला ढोने का काम करते हैं या फिर ऐसे लोग जो कचरा ढोने का, कचरा बीनने का या फिर चमड़े का काम करने वाली जातियां शेड्यूल कास्ट के अंतर्गत आती हैं।
यह एसटी और ओबीसी के बीच की जाती है। शेड्यूल कास्ट के लोग एसटी जाति के लोगों को अपने से नीचा मानते हैं, वहीं ओबीसी कास्ट के लोग एससी और एसटी को अपने से नीचा मानते हैं।
अगर हम आरक्षण की बात करें तो सिर्फ एससी कास्ट के लोगों को हमारे भारत देश में भारतीय संविधान के द्वारा दिए गए आरक्षण के तहत सरकारी नौकरी, शिछण संस्थानों में 15% आरक्षण दिया गया है, जिसके कारण धीरे-धीरे आजादी के 70 साल बीतने के बाद इनमें बदलाव आ रहा है।
शेड्यूल कास्ट के लोगों को मिलने वाले लाभ|Benefit of Sc people 
 
जो लोग शेड्यूल कास्ट में आते हैं, उन्हें सरकार द्वारा बहुत से लाभ प्रदान किए जाते हैं।जैसे कि इस वर्ग के लोगों को सबसे मुख्य लाभ यह मिलता है कि इन्हें सरकारी नौकरियों में 15% आरक्षण सरकार की तरफ से दिया जाता है।
इसीलिए शेड्यूल कास्ट  वर्ग के बहुत से लोग सरकारी नौकरी आसानी से पा जाते हैं। इसके साथ ही सरकारी नौकरियों में इस वर्ग के लोगों को उम्र सीमा में छूट भी दी जाती है।
वही शेड्यूल कास्ट समुदाय के जो छात्र और छात्राएं कॉलेज या फिर विद्यालय में पढ़ाई करते हैं उन्हें नियम के अनुसार सरकार की तरफ से छात्रवृत्ति याने की स्कॉलरशिप भी दी जाती है, जिससे कि विद्यार्थी अपनी पढ़ाई आसानी से कर पाते हैं।
महात्मा गांधी ओन अनुसूचित जाति
हमारे भारत देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने शेड्यूल कास्ट के लोगों के लिए हरिजन और वाल्मीकि जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, परंतु इसे भी अपमानजनक ही माना जाता है, इसलिए इसकी जगह अब दलित शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा है परंतु अब दलित शब्द भी राजनीति के दांव पेच में उलझ कर रह गया है।
शेड्यूल कास्ट को आरक्षण क्यों दिया गया|Sc st ko Aarakshan Kyu Diya Gaya
आजादी के पहले और आजादी के बाद से शेड्यूल कास्ट के लोगों के साथ काफी गलत व्यवहार होता आया है। शेड्यूल कास्ट में शामिल लोग आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से काफी पिछड़े हुए थे और इसीलिए इन पर अधिक जुल्म होता था 
और इसीलिए जब हमारा भारत देश साल 1947 में 15 अगस्त को आजाद हुआ, तब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान निर्माण के तहत शेड्यूल कास्ट के लोगों को आरक्षण देने का प्रावधान संविधान में रखा, जिसके बाद इन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिलने लगा।
इसके बाद आजादी के बाद धीरे-धीरे इनकी स्थिति में सुधार आने लगा, हालांकि अभी भी इनकी स्थिति में पूरा सुधार नहीं आया है, फिर भी इनकी स्थिति में पहले की तुलना में औसत सुधार हुआ है।
क्या है एससी-एसटी एक्ट|sc st Act Kya Hai
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंध रखने वाले लोगों की सुरक्षा करने के लिए सरकार ने साल 1989 में 1 सितंबर को भारतीय संसद में एससी एसटी एक्ट को पास करवाया और फिर साल 1990 में 30 जनवरी को यह एक्ट हमारे पूरे भारत देश में लागू हो गया।
इस कानून का उद्देश्य था कि, जो लोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति से संबंध रखते हैं, उन्हें पब्लिक सिक्योरिटी प्रदान की जा सके तथा इनके खिलाफ समाज में हो रही हिंसा को रोका जा सके और जो व्यक्ति या समुदाय इनके खिलाफ हिंसा करता है, उसे कड़ी से कड़ी कानूनी सजा दी जा सके।
इस एक्ट का मकसद एससी-एसटी वर्ग के लोगों को अन्य वर्गों की ही तरह समान अधिकार दिलाना भी है। 
इस एक्ट के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ अत्याचार करने वाले या फिर अपराध करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के प्रावधान है। इसके तहत इस समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव या अन्याय करने वाले लोगों को कठिन सजा का भी प्रावधान है।
एससी-एसटी एक्ट 1989 के मुख्य प्रावधान|Rule of sc st Act
अगर कोई गैर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को जातिसूचक शब्दों से गाली देता है या फिर उन्हें अपमानित करता है, तो उसके खिलाफ तुरंत ही मामला दर्ज हो जाता है।
आमतौर पर एससी एसटी मामले की जांच इंस्पेक्टर रेंक के पुलिस अधिकारी करते हैं और जब किसी व्यक्ति के ऊपर एससी एसटी कानून के तहत केस दर्ज होता है, तो तुरंत ही उसकी गिरफ्तारी हो जाती है।
एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती है। अगर किसी व्यक्ति को sc-st मामले के तहत गिरफ्तार किया जाता है, तो उसकी जमानत हाईकोर्ट से ही हो सकती है।
एससी एसटी समुदाय के जो लोग अत्याचार से पीड़ित होते हैं, उन्हें पर्याप्त सुविधाएं और कानूनी मदद दी जाती है।इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति एससी एसटी समुदाय के किसी व्यक्ति का घर जला देता है, तो ऐसी स्थिति में सरकार उसे आर्थिक और सामाजिक मदद देती है और फिर से उसे रहने की व्यवस्था करती है।
एससी एसटी के मामले में पीड़ितों और गवाहों की यात्रा तथा आवश्यक खर्चा सरकार की तरफ से मुफ्त में दिया जाता है। इसके अलावा कानून का यह भी प्रावधान है कि ऐसे क्षेत्रों का पता लगाया जाए, जहां पर एससी एसटी के लोगों पर ज्यादा अत्याचार हो रहा है और वहां उसकी रोकथाम कैसे की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने किया था यह बदलाव|Supreme Court on sc st Act
साल 2018 में 20 मार्च को हमारे भारत की सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के कानून में बदलाव करते हुए तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके पहले अगर किसी व्यक्ति पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कानून के तहत मुकदमा दर्ज होता था 
तो तुरंत ही उसकी गिरफ्तारी की जाती थी, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शिकायत मिलने की अवस्था में शुरुआत की जांच डीएसपी स्तर के पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी और यह जांच हर 7 दिन के अंदर होगी। 
कोर्ट ने ऐसा आदेश इसलिए दिया था कि बहुत बार इसका गलत उपयोग भी हो रहा था। इसके द्वारा बहुत से लोगों ने निर्दोष लोगों को इसमें फसाया और समझौते के तौर पर उनसे काफी रकम वसूल की।
 

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