घर-परिवार के समग्र विकास के लिए वास्तु के सिद्धांतों का पालन करना बहुत जरूरी बताया गया है. घर के निर्माण या रखरखाव में वास्तु के नियमों की अनदेखी इंसान को बदहाली के रास्ते पर धकेल सकती है. ऐसा कहते हैं कि शाम के वक्त कुछ खास काम करने से भी इंसान को वास्तु दोष घेरते हैं. शाम के वक्त ये गलतियां करने से घर की आर्थिक संपन्नता पर बहुत बुरा असर पड़ता है. आइए आपको बताते हैं कि वास्तु शास्त्र में सूर्यास्त के बाद कौन से काम न करने की सलाह दी गई है.
उधार पैसा न दें– वास्तु शास्त्र के अनुसार, हमें कभी भी शाम के समय रुपये-पैसे का लेन-देन नहीं करना चाहिए. सूर्यास्त के बाद न तो किसी को उधार रुपया दें और न ही किसी से कर्ज लें. ऐसा कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद किसी को उधार पैसे देने से वो कभी वापस नहीं मिलते हैं. इस घड़ी में लिए हुए कर्ज का भार भी कभी नहीं उतरता है.
तुलसी के पत्ते न तोड़ें– ऐसा कहा जाता है कि तुलसी के अंदर माता लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए शाम के वक्त भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु रुष्ट होते हैं. शाम के वक्त तुलसी के पत्ते तोड़ने से रोग और आर्थिक तंगी जैसी समस्याएं इंसान को घेरती हैं. शाम के वक्त तुलसी को छूने की बजाए उसके सामने घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें.
झाड़ू न लगाएं– वास्तु शास्त्र के अनुसार, सूर्यास्त के बाद घर में भूलकर भी झाड़ू नहीं लगानी चाहिए. शाम के समय घर में झाड़ू लगाने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं, जिसका असर इंसान की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है. अगर किसी कारणवश आपको घर में झाड़ू लगानी पड़े तो इससे समेटा हुआ कचरा घर से बाहर न फेंकें. इसे एकतरफ इकट्ठा कर दें और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही घर से बाहर निकालें.
मुख्य द्वार न रखें बंद– शाम के समय घर का मुख्य द्वार थोड़ी देर के लिए खुला रखें. ऐसा कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार को बंद नहीं रखना चाहिए. ऐसा कहते हैं कि यही वक्त होता है, जब माता लक्ष्मी हमारे घर में प्रवेश करती हैं. इसलिए शाम के समय अगर घर का मुख्य द्वार बंद होगा तो मां लक्ष्मी प्रवेश नहीं कर पाएंगी.
लड़ाई-झगड़ा– वास्तु शास्त्र के अनुसार, सूर्य डूबने के बाद घर में कभी भी लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए. इससे माता लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और घर को कंगाली, गरीबी घेरने लगती है. अगर शाम के वक्त आपके द्वार पर कोई गरीब आदमी आए तो उसे कभी खाली हाथ न लौटने दें. ऐसे लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ अवश्य दें.