Om Ka Mahatva: दुनिया में अनेक मत मजहब और संप्रदाय है और उन्हें मानने वाले लोग भी बहुत अधिक है परंतु जितना विज्ञान हमारे सनातन हिंदू धर्म में है उतना किसी और में नहीं है, इसीलिए हर साल लाखों लोग सनातन हिंदू धर्म को अपनी बुद्धि से समझकर और परख कर अपना रहे हैं।इसके साथ ही वह हिंदू धर्म का अध्ययन भी कर रहे हैं। हर साल कई लोग भारत में हिंदू धर्म का अध्ययन करने के लिए आते हैं। पिछले कुछ सालों से विदेशियों की रूचि हिंदू धर्म की तरफ बढ़ी है।
हिंदू धर्म में मंत्रों की अपनी एक अलग महिमा है क्योंकि किसी भी साधना को करने के लिए मंत्रों की आवश्यकता होती है और हर साधना के लिए हिंदू धर्म में अलग-अलग प्रकार के मंत्र दिए गए हैं। किसी भी मंत्र का प्रयोग करने के लिए सबसे पहले उनकी सिद्धी करना आवश्यक होता है क्योंकि बिना सिद्धी कोई भी मंत्र काम नहीं करता।इसके अलावा समय-समय पर मंत्रों को जागृत करने के लिए अनुष्ठान भी करना पड़ता है। दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि कोई भी मंत्र का जाप करने से पहले हम ओम क्यों बोलते हैं।
ओम शब्द तीन अक्षरों के मेल यानी कि अ, उ और म से मिलकर बना है। इसे संपूर्ण सृष्टि का प्रतीक माना गया है। इसके उच्चारण मात्र से ही जीवन से सारी नकारात्मकता खत्म हो जाती है। तो आइए जानते हैं कि किसी भी मंत्र से पहले ओम के उच्चारण का क्या मतलब है और इसके बारे में क्या कहते हैं धर्मग्रंथ?
■ गीता और उपनिषदों के अनुसार|According to Gita and Upanishads
अगर हम श्रीमद्भागवत गीता के हवाले के अनुसार किसी भी मंत्र को जपने से पहले ओम का उच्चारण करने से व्यक्ति को अत्यंत पुण्य मिलता है। इसके अलावा भगवान की कृपा से मंत्र का उच्चारण करने वाले व्यक्ति को परम गति प्राप्त होती है। इसके अलावा उपनिषद में बताया गया है कि ओम शब्द में वेदों का सार और तपस्या का सार समाया हुआ है, इसलिए किसी भी मंत्र के जाप से पहले ओम बोला जाता है।
■ गोपथ ब्राह्मण और माण्डूक्य उपनिषद के अनुसार|According to the Gopath Brahmin and Mandukya upnishad
गोपथ ब्राह्मण और माण्डूक्य उपनिषद
जैसे ग्रंथों के अंदर भी ओम मंत्र की महिमा का बखान किया गया है। इन दोनों के अनुसार किसी भी मंत्र के उच्चारण से पहले ओम मंत्र का उच्चारण करना अत्यंत आवश्यक है। इसके पीछे यह मान्यता है कि किसी भी मंत्र के जाप से पहले अगर ओम बोला जाए तो मंत्र का जाप करने वाले जातक पर ईश्वर की कृपा बरसती है और मंत्र का प्रभाव भी बढ़ जाता है।
■ इसलिए मंत्र से पहले जपते है ओम|So before chanting mantra Om
अगर हम धार्मिक ग्रंथों की बात करें तो धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अगर किसी भी मंत्र को जपने से पहले ओम का शब्द जोड़ दिया जाए तो वह जाप अथवा साधना पूर्ण रूप से शुद्ध और शक्ति संपन्न हो जाती है। किसी भी देवी देवता, ईश्वर या ग्रह के मंत्रों के पहले ओम लगाना आवश्यक होता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि उनके बिना ओम के ना तो मंत्र सिद्ध होता है ना उसका असर होता है, ना ही वह कोई फल देता है, चाहे उस मंत्र का कितना भी जाप कर लिया जाए।
■ ॐ की उत्पत्ति कब हुई|When did om originate
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति के समय पैदा हुई सबसे पहली ध्वनि थी ॐ, जिसने आकाश, धरती, पाताल समेत समस्त जगत को गुंजायमान कर दिया था। इस पवित्र ध्वनि की महिमा और प्रभाव का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है।
■ अन्य धर्मों ने भी माना है ओम के महत्व को|Other religions have also acknowledged the importance of Om
सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं इसके अलावा भारत के अन्य धर्मों ने भी ओम शब्द की महानता को स्वीकारा है। बौद्ध-दर्शन में “मणिपद्मेहुम” का प्रयोग जप एवं उपासना के लिए प्रचुरता से होता है। इस मंत्र के अनुसार ओम को “मणिपुर” चक्र में अवस्थित माना जाता है। यह चक्र दस दल वाले कमल के समान है। जैन दर्शन में भी ओम के महत्व को दर्शाया गया है। महात्मा कबीर ने भी ओम के महत्व को स्वीकारा और इस पर “साखियां” भी लिखीं। वहीं गुरु नानकजी ने भी ओम महत्व को प्रतिपादित किया है।